गुलज़ार साहब का लिखा एक और दिलकश गीत  

Posted by: कुश in

आइए आज सुनते है गुलज़ार साहब का लिखा एक और बेहतरीन गीत.. फिल्म है 'झूम बराबर झूम' हालाँकि शाद अली की पिछली दो फ़िल्मे जिनके गीत गुलज़ार साहब ने लिखे थे, 'साथिया' और 'बंटी और बबली' के गीत बहुत हिट हुए थे.. पर 'झूम बराबर झूम' के संगीत ने निराश किया.. मगर गुलज़ार साहब वहा भी अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे.. मसलन इस फिल्म का टाइटल सॉंग कुछ यू शुरू होता है..

ओ बीच बाज़ारी दंगे लग गये, दो तल्वारी अखियों के, मखना..
ओ जान कटे के जिगर कटे अब इन दो धारी अखियों से, मखना...

आज चाँदनी कुटेंगे
आसमान को लूटेंगे..
चल धुआ उड़ा के झूम...

इसी गीत में कुछ पंक्तिया तो कमाल लिखी है गुलज़ार साहब ने जैसे देखिए..

यह चाँद का चिकना साबुन कुछ देर में गल जाएगा ...

अब ये देखिए क्या ग़ज़ब ढाया है गुलज़ार साहब ने..
मकई की रोटी गूड रख के, मिसरी से मीठे लब चख के
तंदूर जलाके झूम झूम....

अब बताइए तंदूर जलाके भी झूमने की बात की जा रही है.. कहने का मतलब है की रोज़मर्रा के जो शब्द है.. उन्हे भी कितनी खूबसूरती से पिरोया है..गुलज़ार साहब ने..

खैर मैं बात करता हू उस गाने की जो मैं आज आपको सुनाने जा रहा हू.. ये गीत भी इसी फिल्म का है 'बोल ना हल्के हल्के' पूरी फिल्म में यही एक गीत संपूर्ण नज़र आता है इसलिए इसके बोल के साथ साथ में यहा वीडियो भी दे रहा हू.. क्योंकि जीतने अच्छे बोल लिखे है गुलज़ार साहब ने शंकर-एहसान- लॉय ने भी पूरी सिद्दत से इसमे संगीत दिया है.. और उतनी मधुरता घोली है राहत फ़तेह अली ख़ान और महालक्ष्मी अय्यर ने अपनी आवाज़ देकर.. और शाद अली ने भी इस गीत को बहुत ही सुंदर तरीके से फिल्माया है.. अब मैं कितना सही हू.. ये तो आप ये गाना देखकर ही बताइए...




धागे तोड़ लाओ चांदनी से नूर के
घूंघट ही बना लो रौशनी से नूर के
शरमा गयी तो आगोश में लो
सांसों से उलझी रहें मेरी सांसें

बोल ना हल्के हल्के
बोल ना हल्के हल्के

आ नींद का सौदा करें
इक ख्वाब दें इक ख्वाब लें
इक ख्वाब तो आन्खों में है
इक चांद तेरे तकिये तले

कितने दिनों से ये आसमां भी
सोया नही है, इसको सुला दें

बोल ना हल्के हल्के
बोल ना हल्के हल्के

उम्रे लगी कहते हुये
दो लफ़्ज़ थे एक बात थी
वो इक दिन सौ साल का
सौ साल की वो रात थी

ऐसा लगे जो चुपचाप दोनों
पल पल में पूरी सदियां बिता दें

बोल ना हल्के हल्के
बोल ना हल्के हल्के

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This entry was posted on Wednesday, June 11, 2008 and is filed under . You can leave a response and follow any responses to this entry through the Subscribe to: Post Comments (Atom) .

8 comments

bahut hi madhur geet hai.ek ek lafz is geet ke kahin andar se aate lagte hain

kitne dinon se ye aasmaan bhi soya nahin hai isko sula dein...

aa nend ka sauda karein ek khwab dein ek khwab lein....

bhai wah.gulzar saab ke bare mein jitna kaha jaaye utna kam hai.
Shankar ahsaan loy ne bhi shabdon ke hisaab se sangeet diya hai aur bahut hi umda diya hai.

rahat saab to ustad hain.unki aawaaz jis geet jo chhu jaaye..wo sona ho jaaye.

सही में यह पिक्चर जितनी बकवास थी उतना ही खूबसूरत या गाना है ..जो सुंदर लिखे होने के साथ साथ दिल को छु लेने वाली धुन में पिरोया भी गया है ..आ नींद का सौदा करें....कितने दिनों से ये आसमां भी सोया नही है, इसको सुला दें ...यह कमाल तो गुलजार जी ही कर सकते हैं ..शुक्रिया मनपसंद गाने को सुनाने का ..

बहुत बढ़िया.

बहुत खूबसूरत गीत हैं भाई...गुलज़ार साहब के क्या कहने.

उम्रे लगी कहते हुये
दो लफ़्ज़ थे एक बात थी
वो इक दिन सौ साल का
सौ साल की वो रात थी

बहुत बढिय़ा.. मुझे ये गीत बहुत पसंद है.. जब कभी रात देर तक आफिस में रूकता हूं तो वे लोग भी जिन्हें हिंदी नहीं आती है, मेरे पास आकर कहते हैं कि ये गीत अपने मोबाईल पर बजाओ.. इसका विडीयो भी गजब का है..

yeh geet dil ke behad kareeb hai..

ise hamare saamne pesh karne ke liye shukriya :)

इस गाने की जितनी भी तारीफ करे कम ही होगी...
सुधि सिद्धार्थ

I HAVE BEEN LOOKING DESPERATELY FOR AN OLD SONG WRITTEN BY GULZAR. IT WAS A FILM CALLED KASHISH RELEASED IN 1980 " KISI ASMA PE TO SAHIL MILEGA MAIN LANE WAHI ASMA JA RAHA HOON". IT WAS SUNG BY MOHD. RAFI (PERHAPS ONE OF HIS LAST SONGS) AND MUSIC COMPOSED BY KALYANJI ANAND JI. ANY FAN HAS THIS SONG?

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