गुलज़ार एक परिचय
Postedपाकिस्तान के झेलम जिले के दीना गाँव में 18 अगस्त 1936 को जन्मे संपूर्णसिंह उर्फ गुलजार ने न सिर्फ गीतकार के रूप में, बल्कि लेखक, निर्माता और निर्देशक के रूप में बॉलीवुड में अपना विशेष योगदान दिया है।
बचपन के दिनों से ही शे'रो-शायरी का शौक रखने वाले गुलजार अंताक्षरी के कार्यक्रमों में भी हिस्सा लिया करते थे। उन्हें गीत-संगीत के प्रति खासी रुचि थी और वे रविशंकर और अली अकबर खान के कार्यक्रम में उन्हें सुनने के लिए जाया करते थे।
वर्ष 1947 में विभाजन के बाद उनका परिवार अमृतसर चला आया। इसके बाद अपने सपनों को नया रूप देने के लिए गुलजार मुंबई आ गए, लेकिन सपनों की नगरी में उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। अपने जीवन यापन के लिए उन्होंने मोटर गैराज में एक मैकेनिक की नौकरी भी की।
इसके बाद कवि के रूप में गुलजार प्रोग्रेसिव रायटर्स एसोसिएशन (पीडब्ल्यूए) से जुड़ गए। उन्होंने अपने सिने कॅरियर की शुरुआत वर्ष 1961 में विमल राय के सहायक के रूप में की। गुलजार ने ऋषिकेश मुखर्जी और हेमन्त कुमार के सहायक के तौर पर भी काम किया।
गीतकार के रूप में गुलजार ने पहला गाना 'मेरा गोरा अंग लेई ले' वर्ष 1963 में प्रदर्शित विमल राय की फिल्म 'बंदिनी' के लिए लिखा। हालाँकि फिल्म 'काबुली वाला' बंदिनी से पहले ही प्रदर्शित हो गई, जिसमें उनके लिखे गाने 'ऐ मेरे प्यारे वतन' और 'गंगा आए कहाँ से' आज भी ऑल टाइम्स ग्रेटेस्ट साँग के रूप में याद किए जाते हैं।
इसके बाद गुलजार ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने एक से बढ़कर एक गीत लिखकर जन-जन के हृदय के तार झनझनाए। उन्होंने फिल्मी गीत गंगा को समृद्ध किया। वर्ष 1972 में प्रदर्शित फिल्म 'परिचय' के गानों की कामयाबी के बाद संगीतकार आरडी बर्मन गुलजार के चहेते बन गए और इसके बाद इन दोनों की जोड़ी वाली फिल्मों के गीत-संगीत ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इन दोनों की जोड़ी वाली फिल्मों में 'खुशबू', 'आँधी', 'किनारा', 'देवता', 'घर', 'गोलमाल', 'खूबसूरत', 'नमकीन', 'मासूम', 'इजाजत' और 'लिबास' जैसी फिल्में शामिल हैं।
गुलजार ने वर्ष 1971 में फिल्म 'मेरे अपने' के जरिये निर्देशन के क्षेत्र में भी कदम रख। इस फिल्म की सफलता के बाद गुलजार ने 'कोशिश' 1972, 'परिचय' 1972, 'अचानक' 1973, 'खुशबू' 1975, 'आँधी' 1975, 'मौसम' 1975, 'किनारा', 'किताब' 1977, 'मीरा' 1979, 'नमकीन' 1982, 'अंगूर' 1982, 'इजाजत' 1987, 'लिबास' 1988, 'लेकिन' 1990, 'माचिस' 1996 और 'हू तू तू' जैसी कई कामयाब फिल्में निदेर्शित भी की।
निर्देशन के अलावा गुलजार ने कई फिल्मों की पटकथा और संवाद भी लिखे। इन फिल्मों में कोशिश, हार-जीत, बावर्ची, परिचय, अचानक, नमक हराम, खूशबू, चुपके-चुपके, आँधी, फरार, मौसम, पलकों की छाँव में, किताब, गृहप्रवेश, खूबसूरत, बसेरा, नमकीन, अंगूर, मौसम, इजाजत, मिर्जा गालिब, लेकिन, रूदाली, माचिस, चाची 420, हू तू तू और साथिया शामिल हैं। इसके अलावा गुलजार ने वर्ष 1977 में किताब और किनारा फिल्मों का निर्माण भी किया।
गुलजार को अपने रचित गीतों के लिए अब तक नौ बार फिल्म फेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। गुलजार को सबसे पहले वर्ष 1977 में प्रदर्शित फिल्म घरौदा के 'दो दीवाने शहर में' गीत के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया।
इसके अलावा उन्हें 'आने वाला पल जाने वाला है' गोलमाल 1979, 'हजार राहें मुड़ के देखीं' थोड़ी-सी बेवफाई 1980, 'तुमसे नाराज नहीं जिंदगी' मासूम 1983, 'मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है' इजाजत 1988, 'यारा सिली सिली बिरह की रात का जलना' लेकिन 1991, 'चल छइया छइया' दिल से 1998, 'साथिया साथिया' 2002 और 'कजरारे कजरारे तेरे काले काले नैना' बंटी और बबली 2005 फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया।
गुलजार को तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। इनमें उन्हें वर्ष 1972 में प्रदर्शित फिल्म 'कोशिश' के लिए सर्वश्रेष्ठ स्क्रीन प्ले का, वर्ष 1975 में प्रदर्शित फिल्म 'मौसम' के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का और वर्ष 1987 में प्रदर्शित फिल्म 'इजाजत' के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार का पुरस्कार भी शामिल है।
Very fine :) You may also consider adding the information to the Hindi Wikipedia page at http://hi.wikipedia.org/wiki/गुलज़ार
बहुत अच्छी जानकारी दी.....मुझे कुछ हद तक तो जानकारी थी गुलजारजी के बारे में लेकिन ईतनी तफ्सील से जानकारी देने के लिये शुक्रिया।